हिंदी वेदों के दोहे
Wednesday, 26 June 2013
नाक का मोती अधर की कान्ति से
बीज दाड़िम का समझ कर भ्रान्ति से
देख कर सहसा हुआ शुक मौन है
सोचता है अन्य शुक ये कौन है |
- मैथिलि शरण गुप्त
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