Friday 28 June 2013

हरि हरि hari hari


हरि हरसे हरि देखकर, हरि बैठे हरि पास।

या हरि हरि से जा मिले, वा हरि भये उदास॥

(अज्ञात)


पूरे दोहे का अर्थ हैः


मेढक (हरि) को देखकर सर्प (हरि) हर्षित हो गया (क्योंकि उसे अपना 

भोजन दिख गया था)। वह मेढक (हरि) समुद्र (हरि) के पास बैठा था। 

(सर्प को अपने पास आते देखकर) मेढक (हरि) समुद्र (हरि) में कूद 

गया। (मेढक के समुद्र में कूद जाने से या भोजन न मिल पाने के 

कारण) सर्प (हरि) उदास हो गया।

4 comments:

  1. बिलकुल सही उत्तर दिया है

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  2. *कर पर कीर, कीर पर पंकज, पंकज पे दोऊ पात*
    *एक अचंभो ऐसो देखीयो, दधि सुत में दधि जात*

    इसके बारे में बताइए कि राधा जी कृष्ण के विरह में गोकुल में बैठे क्या कह रहे हैं ?

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  3. नारायण नारायण

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